भारत के एक जीनियस छात्र को हर उम्र के मरीज़ों की नज़र वापस लाने के नए तरीके की खोज के लिए शीर्ष मेडिकल पुरुस्कार मिला।
2020 की बसंत में यूरोपियन ऑप्थेल्मोलॉजी कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में एक बहुत ही अविश्वसनीय घटना हुई। पूरे हॉल में उपस्थित विशेषज्ञों ने 10 मिनट तक स्पीच दे रहे उस लड़के को खड़े होकर सम्मान दिया। इस लड़के का नाम था मनोज अग्रवाल और यह एक भारत का मेडिकल छात्र था। इसी लड़के ने अंधेपन से बचाव के लिए नज़र वापस लाने का एक अनोखा फॉर्मूला इजाद किया था।
मनोज ने जो आईडिया दिया था उसे देश के कुछ सबसे बेहतरीन मेडिकल शोधकर्ताओं ने अमल में लिया। इंस्टिट्यूट ऑफ ऑप्थेल्मोलॉजी और मेडिकल रिसर्च के दूसरे संस्थानों के विशेषज्ञ भी दवा के विकास में शामिल थे। यह नई दवा अभी तक बहुत अच्छे परिणाम दे रही है।
आज की रिपोर्ट में हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि ये कैसे लाखों ज़िंदगियाँ बचा सकती है और भारत के लोग इसे अच्छे डिस्काउंट पर कैसे पा सकते हैं।
रिपोर्टर:
मनोज, आप दुनिया के टॉप टेन स्मार्ट मेडिकल स्टूडेंट्स में से
एक हैं। ऐसा क्या था कि आपने नज़र खराब होने की समस्या पर काम किया?
मनोज
अग्रवाल:
मुझे इसके कारण पर ज्यादा बात करना पसंद नहीं है और इसके लिए मेरी
प्रेरणा
थोड़ी निजी थी। कुछ साल पहले मेरी माँ की नज़र अचानक कमजोर होने लग गई
थी।
उन्हें न चश्मे से और न कांटेक्ट लैंस से दिख रहा था और उनकी नज़र और
कमजोर
होती जा रही थी। डॉक्टर ने तो उनका ऑपरेशन करने का फैसला कर लिया था
लेकिन
ऑपरेशन के एक हफ्ते पहले ही पता चला कि उनकी लगातार कमजोर होती नज़र के
पीछे
लेंस और फ़ॅन्डॅस में ठीक से रक्त की सप्लाई न होनी का कारण था। और
इसलिए
ऑपरेशन का तो सवाल ही पैदा नहीं होता था।
इसी कंडीशन के कारण कुछ साल पहले मेरी दादी भी पूरी अंधी हो गई थीं। और तभी मैंने आंख की बीमारियों के बारे में पढ़ाई शुरू कर दी। जब मुझे पता चला कि दवा की दुकानों में बिकने वाली दवाइयां न सिर्फ बेकार होती है इनसे नुकसान भी हो सकता है तो मैं हैरान रह गया। इन दवाओं से तो समस्या और भी बढ़ जाती है। मेरी माँ रोज यही दवाइयां खाती थी।
पिछले 3 सालों से मैं इस विषय में पूरा डूबा हुआ हूं। वास्तव में जब मैं अपनी थीसिस लिख रहा था तभी मुझे नज़र सुधारने के इस नए तरीके का आइडिया आया। मैं जानता था यह बहुत ही नई चीज थी लेकिन यह कभी नहीं सोचा था कि इससे मेडिकल और बिजनेस फील्ड में इतनी हलचल मच जाएगी।
रिपोर्टर:
आप क्या कहना चाहते हैं?
मनोज
अग्रवाल:
जैसे ही मेरे नए तरीके के बारे में लेख प्रकाशित हुआ तो मुझे कई
इन्वेस्टर्स के फोन आने लगे जो इस आइडिया को खरीदना चाहते थे। सबसे
पहले
मुझे एक फ्रेंच कंपनी ने 1,20,000 यूरो का ऑफर दिया। एक अमेरिकन
फार्मास्यूटिकल होल्डिंग कंपनी ने तो मेरे आइडिया को खरीदने के लिए
3.30
करोड़ डॉलर तक की पेशकश कर डाली। मैंने परेशान होकर अपना फोन नंबर बदल
दिया
और सोशल मीडिया से भी कटने लगा क्योंकि मुझे हर जगह से ढेरों ऑफर भी
ऑफर
आने लगे थे।
रिपोर्टर:
जहां तक मेरी जानकारी है, अपने अपना फॉर्मूला नहीं बेचा?
मनोज
अग्रवाल:
यह सच है। देखिए यह सुनने में थोड़ा अप्रिय लग सकता है लेकिन मैंने इसे
इसलिए नहीं बनाया है ताकि किसी दूसरे देश के अमीर लोग और भी ज्यादा
अमीर हो
सके। यदि मैं इस फार्मूला को विदेश में बेच दूं तो जानते हैं क्या
होगा? ये
लोग इस फार्मूला का पेटेंट करा लेंगे और दूसरों को इस दवा को बनाने से
रोक
देंगे। इसके बाद इसके रेट बढ़ा दिए जाएंगे। मेरी उम्र अभी कम है लेकिन
मैं
बेवकूफ नहीं हूं। इस तरह तो आम आदमी इसे कभी खरीद ही नहीं पाएगा। मुझे
कई
विदेशी डॉक्टरों ने कहा कि इस तरह की दवाई की कीमत कम से कम ₹2,00,000
होना
चाहिए। अब बताइए दो लाख रुपए की दवा आखिर भारत में कौन खरीद पाएगा?"
दृष्टि में सुधार के लिए गुप्त सूत्र
जब मुझे एक नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट से भारत के मार्केट के लिए ही दवाई विकसित करने का ऑफर मिला तो मैं तुरंत तैयार हो गया। मैंने इंस्टिट्यूट ऑफ ऑप्थेल्मोलॉजी की टीम के साथ काम किया जो एक बहुत ही बढ़िया अनुभव था। अब इसके क्लीनिकल ट्रायल पूरे हो चुके हैं और दवा हर किसी के लिए उपलब्ध है।
यह पूरा प्रोजेक्ट प्रोफेसर विवेक कपूर की देखरेख में हुआ था जो मुंबई के एक प्राइवेट मेडिकल सेंटर में आंखों के डॉक्टर है। हमने उनसे इस नई खोज के बारे में जानकारी देने को कहा।
रिपोर्टर:
" मनोज अग्रवाल के आईडिया में आखिर क्या है? क्या इससे वाकई
में हर उम्र के लोगों की नज़र वापस लाई जा सकती है?"
विवेक
कपूर:
मनोज का आइडिया आंखों की बीमारियां ठीक करने का एक पूरा नया रास्ता है
और
इससे आनुवांशिक कारणों से होने वाली बीमारियों में भी फायदा होता है।
देखिए
सारे विशेषज्ञ अच्छे से जानते हैं कि आज मार्केट में मिलने वाली दवाएं
बीमारी के सिर्फ पहले स्टेज पर ही काम करती हैं। और दुर्भाग्य से कुछ
डॉक्टर पेशेंट को ऐसी दवाएं लिखते हैं जो केवल चीजों को थोड़ा लेट कर
देती
हैं। और जब आखिर पेशेंट उस स्टेज पर पहुंच जाता है जब उसे कुछ भी दिखाई
नहीं देता तो उसे तुरंत ऑपरेशन के लिए भेज दिया जाता है।
से डॉक्टरों के लिए यह सिर्फ एक बिजनेस है, इन्हें अपने पेशेंट के इलाज में कोई दिलचस्पी नहीं होती।
2000 के दशक की शुरुआत में भारत के वैज्ञानिकों ने यह खोज कर ली थी कि नज़र की 90% समस्याएं इसलिए होती है क्योंकि आंख में रक्त की सप्लाई ठीक से नहीं पहुंच रही होती है। इसका नतीजा यह होता है कि लेंस,स्क्लेरा और कॉर्निया मैं उपयोगी पदार्थ पहुंच नहीं पाते। और यदि आप बीमारी की इस जड़ को खत्म कर दें तो अधिकतर मामलों में ऑपरेशन की जरूरत नहीं पड़ती।
मनोज के आईडिया से मानव नेत्र प्रणाली में रक्त की आपूर्ति बढ़ाने में मदद मिलती है। इससे आप बीमारी की शुरुआती स्टेज पर नज़र जाने के जोखिम को कम कर सकते हैं। लेकिन यह आगे बढ़ चुकी बीमारी को ठीक करने के लिए पर्याप्त नहीं होता जब पेशेंट लगभग अंधा हो चुका होता है। इतने सारे डॉक्टर और मेडिकल एक्सपर्ट एक ऐसी दवा बनाने की कोशिश कर रहे थे जो इस फार्मूले के आधार पर किसी भी उम्र में नज़र वापस ला सके।
रिपोर्टर:
" लेकिन अधिकतर लोग ऐसा क्यों मानते हैं कि ऑपरेशन से नज़र वापस
लाना लगभग नामुमकिन होता है, खासकर 40 की उम्र के बाद?"
विवेक
कपूर:
इन सब बातों का कोई आधार नहीं है। यह बस बड़ी दवाई कंपनियों की ज्यादा
पैसा
कमाने की चाल है। यह काफी पहले प्रमाणित हो चुका है कि हमारे शरीर का
सिस्टम खुद को ठीक करने की क्षमता रखता है। आपको बस इन्फ्लेमेशन कम
करने,
ब्लड सप्लाई बढ़ाने, और मृत कोशिकाओं तथा विषैले पदार्थ बाहर निकाल कर
थोड़ी मदद देने की जरूरत होती है।
रिपोर्टर:
"लेकिन आंखों की बीमारियों का पहले किस तरह इलाज किया जाता था?
आज दवाई की दुकानों में कितनी तरह की आंखों की दवाईयाँ बिकती हैं।"
विवेक
कपूर:
यही तो है, मार्केट में इस तरह की कई दवाएं हैं। लेकिन यह सभी उसी
सिद्धांत
पर आधारित है जो मैंने हमारी बातचीत की शुरुआत में आपको बताया। इन
दवाओं से
आपको केवल लक्षणों में थोड़ी राहत मिलती है। पेशेंट को थोड़े समय के
लिए
आराम मिलता है लेकिन इससे ज्यादा और कुछ नहीं होता। मनोज ने बिल्कुल
ठीक
कहा है। यदि आप आज दवा की दुकानों में बिकने वाली दवाओं के फार्मूले
चेक
करेंगे तो कोई भी डॉक्टर आपको बता देगा कि इन्हें सिर्फ तभी लेना चाहिए
जब
और कोई रास्ता न बचा हो।
रिपोर्टर:
" उन दवाओं और आपकी दवा में क्या अंतर है? क्या इससे नज़र
स्वस्थ होकर वापस लाई जा सकती है?"
विवेक
कपूर:
अंतर यह है कि हमारी दवा से नए उत्तक आने लगते हैं और आंखों में रक्त
की
सप्लाई वापस अच्छी हो जाती है। इसकी एक बार के उपयोग से ही 9,30,000 से
ज्यादा ऐसी कोशिकाएं एक्टिवेट हो जाती है जो नज़र वापस लाने की प्रोसेस
में
शामिल है। और आप जितनी बार दवा लेते हैं हर बार यह होता है। इस इलाज का
मुख्य सिद्धांत यही है।
मनोज की तरह हमने भी नज़र वापस लाने की समस्या को एक नए पहलू से देखने की कोशिश की। यह दवाई मार्केट में मिलने वाली दवाओं के केमिकल फार्मूला से कहीं बढ़कर है। यह हर्बल एक्स्ट्रा अपने आप में अनोखा और बहुत कंसंट्रेटेड कॉम्बिनेशन है। यही कारण है कि मौजूदा तरीकों की तुलना में यह सबसे अधिक असरदार और सुरक्षित इलाज है।
आपको तो 1-2 दिन ट्रीटमेंट में ही अपनी नज़र में बेहतरी महसूस होने लगे। आपकी नज़र साफ हो जाएगी, फोकस पैना हो जाएगा, आंखें लाल होना और जलन होना बंद हो जाएगा। इसके बाद कोशिकाएं पुनर्जीवित होने लगती है और बिगड़ चुके मामलों में भी नज़र सामान्य हो जाती है। दवाई की दुकानों पर बिकने वाली केमिकल से भरी हुई दवाओं की तुलना में Eye Vision Plus का आंख की रक्त धमनियों पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता।
Eye Vision Plus जटिल को बढ़ावा देता है:
- निकट दृष्टि, मोतियाबिंद और मोतियाबिंद सहित नेत्र रोगों की रोकथाम।
- दृष्टि की बहाली और संरक्षण
- बढ़े हुए दृश्य तनाव से आंखों की सुरक्षा (जब कंप्यूटर पर काम कर रहे हों और सूर्य के प्रकाश के नकारात्मक संपर्क में हों)
- अंतःस्रावी दबाव का सामान्यीकरण
- एंटी-फॉगिंग सहित लेंस सुरक्षा
- दृश्य तीक्ष्णता में सुधार
- बेहतर दृश्य विपरीत
- ऑप्टिक अंग की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की बहाली
- दृष्टि के अंगों में रक्त परिसंचरण में सुधार
- ड्राई आई सिंड्रोम (आंखों की थकान, खुजली, लालिमा, सूखापन) से छुटकारा दिलाता है।
रिपोर्टर:
"लेकिन क्या आप की दवाई दवाओं की दुकानों पर उपलब्ध होगी? वैसे
इसकी कीमत क्या होगी?"
विवेक
कपूर:
आपको शायद पता हो कि जैसे ही मार्केट में एक खबर आई कि हम कुछ नई और
असरदार
चीज बना रहे हैं तो दवाई की बड़ी कंपनियां हमसे संपर्क करने के प्रयास
करने
लगीं। वे चाहतीं थीं कि मनोज उन्हें अपना फार्मूला बेच दे। लेकिन इन
कंपनियों का दवा को बनाने का कोई प्लान नहीं था। इसके उलट ये लोग तो बस
यह
चाहते थे कि यह दवाई कभी भी बड़े स्तर पर न बने। आज आंखों की बीमारियों
को
ठीक करने के ट्रीटमेंट का मार्केट बहुत बड़ा है। केवल भारत में ही
करोड़ों
रुपए की दवाएं बेची जाती है। हमारी दवाई मार्केट को पूरा खत्म कर देगी।
और
आखिर कौन इन पुरानी दवाओं और लेजर विजन करेक्शन पर लगातार पैसे खर्च
करना
चाहेगा जब Eye Vision Plus
के एक कोर्स से ही आपकी सभी समस्याएं ठीक हो जाएंगी।
दवाई की दुकान वाले फार्मास्यूटिकल कंपनियों के पार्टनर ही होते हैं और साथ में मिलकर काम करते हैं। ये लोग भी दवाई की बिक्री पर ही निर्भर होते हैं। हमारा ट्रीटमेंट एकमात्र ऐसा ट्रीटमेंट है जो आंखों की बीमारियों और स्थिति बिगड़ने पर पूरे अंधेपन की रोकथाम के लिए विशेषज्ञों द्वारा सुझाया जा रहा है, लेकिन इसके बावजूद ये लोग कभी हमारी दवाई को मार्केट में उतारने के लिए तैयार नहीं होंगे।
रिपोर्टर:
" तो यदि यह दवाई की दुकानों में नहीं मिलेगी तो लोग इससे
खरीदेंगे कहां से?"
विवेक
कपूर:
हमने फैसला किया है कि हम दवाई को खुद डिस्ट्रीब्यूट करेंगे और इसमें
दवाई
की दुकान वाले शामिल नहीं होंगे। हम फिलहाल Eye Vision
Plus
अपने ग्राहकों को सीधे बेच रहे हैं और बीच में दवाई की दुकान वाले नहीं
है।
हमने कई विकल्प सोचे और सबसे अच्छे तरीके से ही काम कर रहे हैं। यदि
आपको
अच्छे डिस्काउंट पर Eye Vision Plus
चाहिए तो सप्लायर की वेबसाइट पर फॉर्म को भर दे। हमारे ऑपरेटर आपके
सवालों
के जवाब देने के लिए आपसे संपर्क करेंगे और आपके ऑर्डर की डिटेल कंफर्म
करेंगे। इसके बाद आर्डर आपको भेज दिया जाएगा। सप्लायर की एक वेबसाइट है
जहां आप
तक डिस्काउंट के साथ ऑर्डर दे सकते हैं। और आज तो हर किसी के पास
इंटरनेट है। और यदि आपके पास कंप्यूटर न भी हो तो भी देखिए
स्मार्टफोन तो सबके पास होता ही है। इसलिए जल्दी करें और ऑफर खत्म
होने से पहले प्रोडक्ट खरीद लें।
यदि आप के पहले ऑर्डर दे देते हैं तो आप अधिकतम डिस्काउंट पर Eye Vision Plus पा सकते हैं। यह ऑफर इसलिए चल रहा है ताकि लोगों का इसकी ओर ध्यान खींचा जा सके। हमें पूरा भरोसा है कि एक बार उपयोग करने के बाद लोग इसके बारे में अपने करीबियों और दोस्तों को बताएँगे और प्रोडक्ट की मार्केटिंग अपने-आप हो जाएगी।
रिपोर्टर:
"लेकिन इसका रेगुलर रेट क्या रखा गया है?"
विवेक
कपूर:
देखिए इसे बनाने की कीमत करीब ₹10,400 प्रति पैकेट है लेकिन हम अभी
बहुत
अच्छा डिस्काउंट दे रहे हैं और यह हर किसी की पहुंच में है। अभी 50% से
अधिक डिस्काउंट चल रहा है। दवाई का उत्पादन करने वाले भी यह समझते हैं
कि
इस तरह की दवाई को देश की जनता तक पहुंचना बहुत जरूरी है। हमने यह प्रण
किया है कि हम इस फार्मूला को कभी विदेश में नहीं भेजेंगे और न इस दवा
को
एक्सपोर्ट करेंगे, इसे सिर्फ भारत में ही बेचा जाएगा।
पिछला अपडेट: :Eye Vision Plus फिलहाल आपके शहर और आपके राज्य में उपलब्ध है, इसलिए डिस्काउंट मान्य है ।
यदि आप इसके पहले ऑर्डर दे देते हैं तो आप अधिकतम डिस्काउंट पर Eye Vision Plus पा सकते हैं।
अपनी किस्मत आजमा कर देखें!
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